एक सभ्य समाज में पुरुष और महिला के बीच सुंदरता से भरे संबंधों के बारे में यदि कहां जाए तो ----उसे कामसूत्र कहते हैं
(क्या है ,कामवासना )और (क्या है, प्रेम), कामसूत्र से संबंधित कई किताबें बनी कई लोगों ने पड़ी और कई बुद्धिजीवियों ने इसे पर्दे पर भी उतारा और यदि दूसरी तरफ देखा जाए तो इसे गंदी किताबों का दर्जा और गंदी फिल्मों का दर्जा दिया गया।
ऐसी किताबों को पढ़ने में कई लोगों को शर्म भी आती है मनुस्मृति के अनुसार आदमी का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी के साथ तभी सेक्स करें जब गर्भधारण की स्थिति हो--
- लेकिन दूसरी ओर विवाहेतर संबंधों के बारे में कई बुद्धिजीवी अपनी ही बात कटते हैं और इससे नुक्स निकालते हैं,और दूसरों की पत्नियों की रक्षा करने की सलाह देते हैं।।
विद्वानों का कहना हैं की कामवासना का केंद्र सूर्य होता है इसलिए वासना स्त्री और पुरुष में उत्तेजित होती है----
कामक्रीडा़ एक सहज प्रेम है यदि व्यक्ति अपने भीतर के सूर्य को जान लेता है तो वह व्यक्ति कामवासना प्रेम की अनुभूति को समझ जाता हैं---
जिस प्रकार सूर्य और चांद से जीवन हैं वैसे ही कामवासना भी जीवन हैं___
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मेरी यह कहानी
कामवासना और प्रेम पर आधारित हैं
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मुख्य किरदार --अजय(पुरुष)
मुख्य किरदार--शेफा़ली(स्त्री)
जैसे-जैसे दिन से शाम होने लगी सूर्य के साथ साथ पक्षी अपने चरम की ओर जाने को थे वैसे वैसे शीत पवन की लहर मन मोहने वाली/ शाम सूर्य अस्त के साथ साथ एक मदहोशी की ओर ले जा रही थी.........
वैसे ही "अजय" अपनी नई नई शादी शुदा जिन्दगी के
और उसकी नई नवेली दुल्हन उसका घर पर इंतजार कर रही थी यह सोच "अजय" दिनभर की थकान से थक कर अपने घर की ओर चल पड़ा--
घर पर आने पर गेट खोल कर जब वह घर में प्रवेश करता है तब घर के आंगन में लगे झूले पर लेट कर मन ही मन में अपने जीवन का अनुभव कर रहा था,
मन ही मन में "अजय"अपनी
पत्नी "शेफा़ली"के साथ कामक्रीडा़ का
अन्नद ले रहा था,
उधर उसकी पत्नी शीशे के
आगे खडी़ होकर सज धज
कर अपने पति"अजय" का
इंतजा़र कर रही थी,
इन दोनो में काम उत्तेजना चरम सीमा तक जा रही थी वह दोनों एक-दूसरे का आलिंगन करने को व्याकुल थे'
इंतजार की घड़ियां लंबी हो रही थी/
उधर "अजय" घर के आंगन में लगे झूले पर लेटे-लेटे ही अपने वैवाहिक जीवन की क्रीड़ा का अनुभव करते करते सो गया।
और दूसरी तरफ "शेफा़ली" अपने पति का इंतजार करते हुए जब दरवाजे़ पर आती है ............वह दिखती है कि उसका पति "अजय" आंगन में लगे झूले पर सोया हुआ है
//जब वह उसके पास जाकर देखती हैं तो उसके पति "अजय"के चेहरे पर मंद मंद मुस्कान होती हैं।।
वह दोनो ही यह जानते थे \की उन दोनो के जीवन में "ईश्वर" की कृपा से किसी भी प्रकार की पीड़ा या कष्ट ना था|
"शेफा़ली" रूपवान और गुणवान थी और "अजय" के पास शोहरत और दौलत की कमी ना थी,
शेफा़ली के पास सभी वह गुण थे जो एक स्त्री को परिभाषित करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं
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